12th Hindi Sentup Exam Answer Key 2025: Bihar Board 12th Hindi 21 November Objective Subjective 2025

12th Hindi Sentup Exam Answer Key 2025: Bihar Board 12th Hindi 21 November Objective Subjective 2025 Education Success

12th Hindi Sentup Exam Answer Key 2025:

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पटना (Bihar School Examination Board, Patna) के द्वारा आयोजित कक्षा 12वीं Sent-Up परीक्षा तिथि 19 नवंबर से 26 नवंबर तक होने वाले परीक्षा में शामिल होने वाले तमाम छात्र एवं छात्राओं को इस पोस्ट में स्वागत करते हैं इस पोस्ट में बताने वाले हैं 21 नवंबर 2025 Hindi परीक्षा का इस लेख में Objective + Subjective देने वाले हैं 12th Hindi Answer Key 2025 ….पुरा पोस्ट अवश्य पढ़ें….

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21 November 12th Hindi Answer Key 2025:View 

 Name Of Board Bihar School Examination Board, Patna
12th Sent-up Exam Start  19 November 2025
12th Sent-up Exam End  26 November 2025
12th English Subject Exam Date 21 November
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Bihar Board 12th Sent-Up Exam 2025 Routine ? कक्षा 12वीं सेट-अप परीक्षा कितने पाली में होगी ?

BSEB के द्वारा कक्षा 12वीं जांच परीक्षा का आयोजन 19 नवंबर से 26 नवंबर के बीच आयोजित किया गया है प्रथम पाली परीक्षा होगा 9:30 बजे से 12:45 तक वही बात करें द्वितीय पाली की 2:00 बजे से 5:15 तक लिया जाएगा

Bihar Board 12th Sent UP Exam 2025: सेट-अप परीक्षा नहीं देने पर क्या होगा ?

हेलो बच्चों जानेंगे कि कक्षा 12वीं सेट-अप परीक्षा नहीं देने पर क्या होगा पूरी अच्छी तरह से हम इस जानकारी को आप लोगों को बताने वाले हैं कि जांच परीक्षा नहीं देने पर क्या होगा तो बिहार बोर्ड के निर्देश के अनुसार अगर आप जांच परीक्षा में शामिल नहीं होते हैं तो आपका फाइनल परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड को जारी नहीं किया जाएगा यह बिहार बोर्ड का निर्देश है इसलिए आपको जांच परीक्षा में शामिल होना अति आवश्यक है और पूरी जानकारी के लिए पूरा पोस्ट पढ़े

Bihar Board 12th Sent Up Exam Time Table 2024-26: कक्षा 12वीं सेंटअप परीक्षा पैटर्न ?

बिहार बोर्ड कक्षा 12वीं सेंटअप परीक्षा को लेकर सभी परीक्षार्थी अपने पैटर्न को लेकर उत्सुक है और आप सभी परीक्षार्थी को बता देना चाहते हैं की इंटरमीडिएट शैक्षणिक सत्र 2024-26 का पैटर्न, दुगुनी विकल्प दिए जाएंगे जिसमें से परीक्षार्थी को आधें प्रश्न का ही जवाब देना है ऐसे समझे की 100 ऑब्जेक्टिव प्रश्न में से 50 ऑब्जेक्टिव प्रश्न का ही उत्तर देना है और यही पैटर्न सब्जेक्टिव में भी रहने वाला है | सब्जेक्टिव प्रश्न में भी दो गुना क्वेश्चन दिया जाएगा जिसमें से अधिक क्वेश्चन का ही उत्तर देना है और यह ध्यान रहे परीक्षार्थी को प्रश्न पत्र पढ़ने के लिए अतिरिक्त 15 मिनट का समय दिया जाएगा, यही सेम पैटर्न आपके वार्षिक परीक्षा में भी रहने वाला है इसलिए सभी परीक्षार्थी, अपने परीक्षा की तैयारी में लगे रहे

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📝 खण्ड – ब: विषयनिष्ठ प्रश्न (Subjective Questions)

  1. निबंध (Essay)

दिए गए छह विषयों में से किसी एक पर लगभग 250-300 शब्दों में एक निबंध लिखें।

(उदाहरण: परिश्रम का महत्व)

परिश्रम का महत्व

परिश्रम का अर्थ है कठिन प्रयास और लगन। यह मानव जीवन की आधारशिला है। संसार में जितने भी आविष्कार, विकास और सफलताएँ हुई हैं, वे सब परिश्रम की ही देन हैं।

यह कहावत है कि ‘परिश्रम ही सफलता की कुंजी है’। बिना परिश्रम के कोई भी व्यक्ति महान नहीं बन सकता, न ही कोई राष्ट्र प्रगति कर सकता है। परिश्रम व्यक्ति को स्वावलंबी बनाता है और उसमें आत्मविश्वास पैदा करता है। किसान खेत में, मजदूर कारखाने में और विद्यार्थी अपनी शिक्षा में परिश्रम करके ही जीवन में संतोष और लक्ष्य की प्राप्ति करते हैं।

परिश्रम से शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं। आलस्य को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु माना गया है, क्योंकि यह हमें काम करने से रोकता है और जीवन को निष्क्रिय बना देता है। परिश्रम से ही हम अपने नैतिक गुणों जैसे ईमानदारी, अनुशासन और धैर्य का विकास करते हैं।

अतः हमें यह समझना चाहिए कि संसार में बिना परिश्रम के कुछ भी प्राप्त नहीं होता। यह केवल व्यक्तिगत सफलता के लिए ही नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण के लिए भी अनिवार्य है। परिश्रमी व्यक्ति ही समाज और देश को ऊँचाईयों तक ले जाता है।

  1. सप्रसंग व्याख्या (Explanation with Reference to Context)

निम्नलिखित में से किन्हीं दो अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या:

(i) “सच है, जब तक मनुष्य बोलता नहीं तब तक उसका गुण-दोष प्रकट नहीं होता।”

संदर्भ: यह पंक्ति बालकृष्ण भट्ट द्वारा लिखित निबंध ‘बातचीत’ से ली गई है।

भावार्थ: लेखक के अनुसार, वाक्शक्ति (बोलने की शक्ति) ही मनुष्य के भीतर छिपे चरित्र और स्वभाव को प्रकट करती है। जब तक कोई व्यक्ति चुप रहता है, तब तक उसके गुण (अच्छाई) और दोष (बुराई) दोनों ढके रहते हैं। बोलना ही वह माध्यम है जिससे उसके आंतरिक विचार, विवेक और संस्कार सामने आते हैं, और तब ही सही मायनों में उसका मूल्यांकन किया जा सकता है।

(ii) “बिना फेरे घोड़ा बिगड़ता है और बिना लड़े सिपाही।”

संदर्भ: यह उक्ति चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी ‘उसने कहा था’ से उद्धृत है।

भावार्थ: यह लहना सिंह द्वारा बोला गया एक संवाद है, जो अभ्यास और सतत क्रियाशीलता के महत्व को दर्शाता है। जिस प्रकार घोड़े को लगातार दौड़ाया या फेरा न दिया जाए तो वह आलसी हो जाता है और बिगड़ जाता है, उसी प्रकार एक सिपाही को यदि युद्ध या सैन्य अभ्यास में लगातार न लगाया जाए तो उसका कौशल और साहस कम हो जाता है। यह सिपाही जीवन की कठोर नियमितता को स्थापित करता है।

  1. पत्र/आवेदन पत्र (Letter/Application)

अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य के पास एक आवेदन पत्र लिखें, जिसमें विद्यालय के शौचालय की साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था के लिए अनुरोध किया गया हो।

सेवा में,

प्रधानाचार्य महोदय,

सरस्वती उच्च विद्यालय,

पटना।

विषय: विद्यालय के शौचालय की समुचित साफ-सफाई की व्यवस्था हेतु आवेदन पत्र।

महोदय,

सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय का ग्यारहवीं कक्षा का छात्र/छात्रा हूँ। मैं आपका ध्यान विद्यालय के शौचालयों की खराब स्थिति की ओर आकर्षित करना चाहता/चाहती हूँ।

शौचालयों में प्रायः गंदगी रहती है, जिससे वहाँ से दुर्गंध आती है और संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। सफाईकर्मी की अनियमितता और पानी की अपर्याप्त व्यवस्था के कारण विद्यार्थियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उन्हें बाहर जाने पर विवश होना पड़ता है।

अतः आपसे विनम्र प्रार्थना है कि आप इस गंभीर समस्या को देखते हुए शौचालयों की दैनिक और समुचित सफाई सुनिश्चित करने तथा जल की उचित व्यवस्था करने की कृपा करें।

इस कार्य के लिए मैं एवं समस्त विद्यार्थी आपके आभारी रहेंगे।

सधन्यवाद।

आपका/आपकी आज्ञाकारी छात्र/छात्रा,

नाम: [आपका नाम]

कक्षा: [आपकी कक्षा]

दिनांक: 20 नवंबर, 2025

 

  1. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं पाँच के उत्तर दें।

(i) बालकृष्ण भट्ट के अनुसार वाक्शक्ति न होती तो क्या होता ?

बालकृष्ण भट्ट के अनुसार, यदि मनुष्य में वाक्शक्ति (बोलने की शक्ति) न होती, तो यह समस्त सृष्टि गूँगी प्रतीत होती। सब लोग चुपचाप बैठे रहते और वे एक-दूसरे के सुख-दुख, अनुभव और भावों का आदान-प्रदान न कर पाते। इससे सृष्टि का विकास रुक जाता और जीवन निष्क्रिय हो जाता।

(ii) लहना सिंह के गाँव में आया तुर्की मौलवी क्या कहता था ?

‘उसने कहा था’ कहानी के अनुसार, लहना सिंह के गाँव में आया तुर्की मौलवी कहता था कि जर्मनी के लोग बड़े पंडित हैं। वह वेद पढ़कर विमान चलाने की विद्या जान गए हैं और अब वे लोग ही हिंदुस्तान में आएंगे तथा गौ-हत्या बंद करवाएंगे।\

(iii) जयप्रकाश नारायण कम्युनिस्ट पार्टी में क्यों नहीं शामिल हुए ?

जयप्रकाश नारायण कम्युनिस्ट पार्टी में इसलिए शामिल नहीं हुए, क्योंकि वे जब अमेरिका से लौटकर आए तो उन्हें पता चला कि कम्युनिस्ट पार्टी की नीति भारत को गुलाम बनाए रखने की थी। उस समय कम्युनिस्ट पार्टी ब्रिटिश शासन का समर्थन कर रही थी, जो देश की आजादी के खिलाफ था।

(iv) ‘अर्धनारीश्वर’ शीर्षक पाठ में वर्णित प्रवृत्तिमार्ग और निवृत्तिमाग क्या है ?

प्रवृत्तिमार्ग: यह वह मार्ग है जो जीवन और संसार से जुड़ा होता है। यह घर-गृहस्थी, पारिवारिक जिम्मेदारियों और भोग-विलास को महत्व देता है।

निवृत्तिमार्ग: यह वह मार्ग है जो संन्यास और मोक्ष से जुड़ा होता है। यह संसार के बंधनों से मुक्त होकर वैराग्य और अध्यात्मिक साधना को महत्व देता है। यह पुरुषार्थ से दूर रहने की प्रवृत्ति है।

(v) ‘गैंग्रीन’ क्या है ? ‘रोज’ शीर्षक कहानी के अनुसार उत्तर दें।

‘रोज’ कहानी के अनुसार, गैंग्रीन एक भयानक बीमारी का नाम है। यह मुख्य रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में काँटा चुभने या साधारण चोट के कारण घाव सड़ जाने से होती है। इसका इलाज घाव वाले अंग को काटकर अलग करना होता है ताकि जहर पूरे शरीर में न फैले। मालती के पति महेश्वर इसी बीमारी के डॉक्टर थे।

(vi) मलिक मुहम्मद जायसी के अनुसार ‘रक्त के लेई’ का क्या अर्थ है ?

मलिक मुहम्मद जायसी के अनुसार, उन्होंने ‘पद्मावत’ महाकाव्य की रचना गाढ़ी प्रीति (गहरे प्रेम) से और अपने रक्त के आँसुओं (गहरे विरह की पीड़ा) से की है। इस संदर्भ में ‘रक्त के लेई’ का अर्थ उनकी रचना में लगा खून-पसीना और समर्पण है। यह उनके गहरे दुःख, प्रेम की तीव्रता, और काव्य के लिए किए गए कठिन श्रम का प्रतीक है।

(vii) सूरदास रचित प्रथम पद में किस रस की व्यंजना हुई है ?

सूरदास रचित प्रथम पद में वात्सल्य रस की व्यंजना हुई है। इस पद में माता यशोदा द्वारा अपने पुत्र श्रीकृष्ण को जगाने के लिए सूर्योदय के दृश्य और अन्य प्राणियों की गतिविधियों का वर्णन किया गया है। यह माँ और बच्चे के बीच के शुद्ध प्रेम और स्नेह को दर्शाता है।

(viii) मुक्तिबोध के अनुसार नदियों की वेदना का क्या कारण है ?

कवि गजानन माधव मुक्तिबोध के अनुसार, नदियों की वेदना (पीड़ा) का कारण यह है कि वे जनता (लोगों) के लिए जीवनदायिनी हैं, फिर भी उनकी सेवा में लगी हुई हैं। वे मनुष्य द्वारा किए गए प्रदूषण और जनता के सामाजिक शोषण तथा दुःखों को देखकर द्रवित होती हैं, जिससे वे लगातार बहती हुई भी अशांत रहती हैं।

(ix) ‘गाँव का घर’ शीर्षक कविता में आवाज की रोशनी या रोशनी की आवाज का क्या अर्थ है ?

ज्ञानेंद्रपति की कविता ‘गाँव का घर’ में, आवाज़ की रोशनी या रोशनी की आवाज़ का अर्थ है जनसंचार के आधुनिक साधनों का गाँव में प्रवेश। यह अखबार, रेडियो, टेलीविजन (TV) आदि से आने वाली सूचनाओं और ज्ञान की किरणें हैं। यह बिंब बताता है कि अब खबर सुनने के लिए चौपाल पर एकत्र होने की आवश्यकता नहीं, बल्कि ज्ञान की रोशनी आवाज़ के रूप में हर घर तक पहुँचने लगी है।

(x) ‘हार-जीत’ शीर्षक कविता में सड़कों को क्यों सींचा जा रहा है ?

अशोक वाजपेयी की कविता ‘हार-जीत’ में, सड़कों को इसलिए सींचा जा रहा है क्योंकि राजा की सेना की जीत के उपलक्ष्य में विजय-उत्सव मनाया जा रहा है। सड़कों को सींचने का उद्देश्य उन्हें धूल-रहित करना और राजा की सवारी के राजसी स्वागत के लिए तैयार करना है, ताकि जीत का प्रदर्शन भव्य लगे।

  1. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन के उत्तर दें।

(i) संघर्ष समितियों से जयप्रकाश नारायण की क्या अपेक्षाएँ हैं ? ‘संपूर्ण क्रांति’ शीर्षक पाठ के अनुसार लिखें।

जयप्रकाश नारायण (जेपी) ने ‘संपूर्ण क्रांति’ के दौरान गठित छात्र-युवक संघर्ष समितियों से निम्नलिखित अपेक्षाएँ रखी थीं:

लोकतंत्र की निगरानी: समितियाँ विधानसभा और लोकतंत्र के लिए स्थायी प्रहरी (पहरेदार) का काम करें। उन्हें लोकतंत्र के प्रति जागरूक और सक्रिय रहना चाहिए।

सामाजिक परिवर्तन: समितियों का कार्य केवल राजनीतिक नहीं होना चाहिए, बल्कि उन्हें समाज में व्याप्त बुराइयों जैसे दहेज प्रथा, भ्रष्टाचार, जाति-भेद और छुआछूत को दूर करने के लिए भी काम करना चाहिए।

जनता का दबाव बनाना: यदि सरकारी अधिकारी रिश्वतखोरी करें या कोई गलत काम करें, तो समितियाँ मिलकर उन पर जनता का दबाव बनाएँ और उन्हें सही रास्ते पर चलने के लिए मजबूर करें।

विकासात्मक कार्य: समितियाँ गाँव-गाँव में शिक्षण कार्यक्रम चलाएँ, बेरोजगारी को दूर करने के लिए कार्यक्रम बनाएँ और गाँव के विकास में योगदान दें।

(ii) शिक्षा का क्या अर्थ है एवं इसके क्या कार्य हैं ? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
जे. कृष्णमूर्ति द्वारा रचित ‘शिक्षा’ शीर्षक पाठ के अनुसार:
शिक्षा का अर्थ: सच्ची शिक्षा का अर्थ केवल ज्ञान या कौशल प्राप्त करके नौकरी पा लेना नहीं है। सच्ची शिक्षा वह है जो हमें भयमुक्त, स्वतंत्र और विचारशील बनाती है। यह हमें जीवन के सत्य को समझने, चुनौतियों का सामना करने और दुनिया के जटिलताओं को समझने में सहायक होती है।
शिक्षा के कार्य:
भयमुक्त करना: शिक्षा का सबसे प्रमुख कार्य मनुष्य को सभी प्रकार के डर (भय) से मुक्त करना है। भय से मुक्त होकर ही व्यक्ति स्वतंत्र रूप से सोच सकता है।
समग्रता और प्रेम: यह हमें जीवन को समग्रता से देखने और दूसरे मनुष्यों, जानवरों और प्रकृति से प्रेम करना सिखाती है।
विद्रोही बनाना: शिक्षा हमें रूढ़ियों और सड़ी-गली परम्पराओं को बिना सोचे-समझे स्वीकारने के बजाय, उनके विरुद्ध विद्रोही बनने की प्रेरणा देती है।
जीवन के सत्य को समझना: यह हमें जीवन के वास्तविक उद्देश्य और सत्य को जानने में मदद करती है, जिससे हम जीवन को एक महान कार्य के रूप में ले सकें।
(iii) एकांकी और नाटक में क्या अंतर है ? संक्षेप में बताएँ।

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Vikram Kumar एक प्रतिभाशाली कंटेंट क्रिएटर हैं, जो पिछले 4 वर्षों से एक YouTube चैनल चला रहे हैं और ब्लॉग पोस्ट लिख रहे हैं। उनके कंटेंट में शिक्षा, नवीनतम नौकरी अपडेट्स और अन्य महत्वपूर्ण विषय शामिल होते हैं। अपनी रोचक वीडियो और जानकारीपूर्ण लेखों के माध्यम से, वे अपने दर्शकों को मूल्यवान जानकारी और उपयोगी सुझाव प्रदान करने का प्रयास करते है

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