12th Economics Sentup Exam Answer Key 2026: Bihar Board 12th Economics 24 November Objective Subjective 2026, 12th Economics Answer Key 2026 Vkc Result
12th Economics Sentup Exam Answer Key 2026:
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पटना (Bihar School Examination Board, Patna) के द्वारा आयोजित कक्षा 12वीं Sent-Up परीक्षा तिथि 19 नवंबर से 26 नवंबर तक होने वाले परीक्षा में शामिल होने वाले तमाम छात्र एवं छात्राओं को इस पोस्ट में स्वागत करते हैं इस पोस्ट में बताने वाले हैं 24 नवंबर 2025 Economics परीक्षा का इस लेख में Objective + Subjective देने वाले हैं 12th Economics Answer Key 2025 ….पुरा पोस्ट अवश्य पढ़ें….
24 November 12th Economics Answer Key 2025:– View
| Name Of Board | Bihar School Examination Board, Patna |
| 12th Sent-up Exam Start | 19 November 2025 |
| 12th Sent-up Exam End | 26 November 2025 |
| 12th Economics Subject Exam Date | 24 November 2025 |
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Bihar Board 12th Sent-Up Exam 2025 Routine ? कक्षा 12वीं सेट-अप परीक्षा कितने पाली में होगी ?
BSEB के द्वारा कक्षा 12वीं जांच परीक्षा का आयोजन 19 नवंबर से 26 नवंबर के बीच आयोजित किया गया है प्रथम पाली परीक्षा होगा 9:30 बजे से 12:45 तक वही बात करें द्वितीय पाली की 2:00 बजे से 5:15 तक लिया जाएगा

Bihar Board 12th Sent UP Exam 2025: सेट-अप परीक्षा नहीं देने पर क्या होगा ?
हेलो बच्चों जानेंगे कि कक्षा 12वीं सेट-अप परीक्षा नहीं देने पर क्या होगा पूरी अच्छी तरह से हम इस जानकारी को आप लोगों को बताने वाले हैं कि जांच परीक्षा नहीं देने पर क्या होगा तो बिहार बोर्ड के निर्देश के अनुसार अगर आप जांच परीक्षा में शामिल नहीं होते हैं तो आपका फाइनल परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड को जारी नहीं किया जाएगा यह बिहार बोर्ड का निर्देश है इसलिए आपको जांच परीक्षा में शामिल होना अति आवश्यक है और पूरी जानकारी के लिए पूरा पोस्ट पढ़े
Bihar Board 12th Sent Up Exam Time Table 2024-26: कक्षा 12वीं सेंटअप परीक्षा पैटर्न ?
बिहार बोर्ड कक्षा 12वीं सेंटअप परीक्षा को लेकर सभी परीक्षार्थी अपने पैटर्न को लेकर उत्सुक है और आप सभी परीक्षार्थी को बता देना चाहते हैं की इंटरमीडिएट शैक्षणिक सत्र 2024-26 का पैटर्न, दुगुनी विकल्प दिए जाएंगे जिसमें से परीक्षार्थी को आधें प्रश्न का ही जवाब देना है ऐसे समझे की 100 ऑब्जेक्टिव प्रश्न में से 50 ऑब्जेक्टिव प्रश्न का ही उत्तर देना है और यही पैटर्न सब्जेक्टिव में भी रहने वाला है | सब्जेक्टिव प्रश्न में भी दो गुना क्वेश्चन दिया जाएगा जिसमें से अधिक क्वेश्चन का ही उत्तर देना है और यह ध्यान रहे परीक्षार्थी को प्रश्न पत्र पढ़ने के लिए अतिरिक्त 15 मिनट का समय दिया जाएगा, यही सेम पैटर्न आपके वार्षिक परीक्षा में भी रहने वाला है इसलिए सभी परीक्षार्थी, अपने परीक्षा की तैयारी में लगे रहे
12th Economics Sent-up Exam Answer Key 2025, Bihar Board 12th Economics Objective Subjective 24 November 2025 , 24 November 12th Economics Answer Key 2025,
| Q.N. | ANS | Q.N. | ANS | Q.N. | ANS | Q.N. | ANS | Q.N. | ANS |
| 1. | D | 21. | C | 41. | C | 61. | 81. | ||
| 2. | D | 22. | B | 42. | D | 62. | 82. | ||
| 3. | D | 23. | B | 43. | B | 63. | 83. | ||
| 4. | B | 24. | C | 44. | 64. | 84. | |||
| 5. | B | 25. | B | 45. | 65. | 85. | |||
| 6. | D | 26. | D | 46. | 66. | 86. | |||
| 7. | B | 27. | D | 47. | 67. | 87. | |||
| 8. | D | 28. | D | 48. | 68. | 88. | |||
| 9. | D | 29 | D | 49. | 69. | 89. | B | ||
| 10. | D | 30.. | C | 50. | 70. | 90. | B | ||
| 11. | D | 31. | B | 51. | 71 | 91. | B | ||
| 12. | C | 32. | D | 52. | 72 | 92. | D | ||
| 13. | A | 33. | D | 53. | 73 | 93. | B | ||
| 14. | C | 34 | D | 54. | 74 | 94. | B | ||
| 15. | B | 35. | A | 55. | 75 | 95. | D | ||
| 16. | A | 36. | B | 56. | 76 | 96. | B | ||
| 17. | C | 37. | C | 57. | 77 | 97. | |||
| 18. | B | 38. | D | 58. | 78 | 98. | |||
| 19. | B | 39. | C | 59. | 79 | 99. | |||
| 20. | C | 40. | D | 60. | 80 | 100. |
12th Economics Subjective Question Answer 2025, 24 November 2025, 12th Economics Subjective Answer 2025, 12th Economics Subjective Sent-Up Exam
1. अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्या ‘क्या उत्पादन करें’ से आप क्या समझते हैं?
यह आर्थिक समस्या दुर्लभ संसाधनों के कारण उत्पन्न होती है, जिसका अर्थ है कि एक अर्थव्यवस्था को यह चुनाव करना पड़ता है कि कौन सी वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में। उदाहरण के लिए, उपभोक्ता वस्तुओं (कपड़े, भोजन) का उत्पादन करें या पूंजीगत वस्तुओं (मशीन, उपकरण) का। यह चुनाव समाज की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है।
2. आदर्शक आर्थिक विश्लेषण से आपका क्या अभिप्राय है?
आदर्शक आर्थिक विश्लेषण (Normative Economic Analysis) अर्थशास्त्र की वह शाखा है जो यह बताने का प्रयास करती है कि क्या होना चाहिए। यह मूल्य-निर्णयों (Value Judgements) पर आधारित होती है और नीतिगत सुझाव देती है। उदाहरण के लिए, “सरकार को अमीरों पर अधिक टैक्स लगाना चाहिए” या “गरीबी कम की जानी चाहिए”। यह वास्तविक स्थिति के बजाय वांछित स्थिति से संबंधित है।
3. बजेट रेखा को परिभाषित करें।
बजेट रेखा (Budget Line) उन सभी बंडलों (वस्तुओं के संयोजनों) को दर्शाती है जिन्हें एक उपभोक्ता अपनी दी गई आय और वस्तुओं की कीमतों के साथ ठीक-ठीक खरीद सकता है। इसे कीमत रेखा (Price Line) भी कहते हैं। रेखा पर स्थित कोई भी बिंदु दर्शाता है कि उपभोक्ता अपनी पूरी आय खर्च कर रहा है।
4. यदि उपभोक्ता की आय घटती है तो बजट रेखा को क्या होगा? चित्र द्वारा दर्शायें।
यदि उपभोक्ता की आय घटती है, तो वस्तुओं की कीमतें स्थिर रहने पर, उसकी क्रय शक्ति (Purchasing Power) कम हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप, बजेट रेखा बाईं ओर (inward) समांतर रूप से (Parallelly) खिसक जाएगी। यह दर्शाता है कि उपभोक्ता अब दोनों वस्तुओं की पहले से कम मात्रा खरीद पाएगा।
5. अनधिमान वक्र चित्रित करें।
अनधिमान वक्र (Indifference Curve) दो वस्तुओं के ऐसे विभिन्न संयोजनों को दर्शाता है जो उपभोक्ता को समान स्तर की संतुष्टि प्रदान करते हैं। यह वक्र मूल बिंदु (Origin) की ओर उत्तल (Convex) होता है और बाएँ से दाएँ नीचे की ओर ढलान वाला होता है।
6. पसंदीदा बंडल एवं निम्नस्तरीय बंडल को चित्र द्वारा दर्शायें।
अनधिमान वक्र के संदर्भ में, पसंदीदा बंडल वह होता है जो दिए गए अनधिमान वक्र के ऊपर या दाहिनी ओर स्थित होता है, जो उच्च संतुष्टि को दर्शाता है। निम्नस्तरीय बंडल वह होता है जो दिए गए अनधिमान वक्र के नीचे या बाईं ओर स्थित होता है, जो कम संतुष्टि को दर्शाता है।
7. माँग के नियम को परिभाषित करें।
माँग का नियम (Law of Demand) बताता है कि अन्य बातें स्थिर रहने पर (जैसे उपभोक्ता की आय, संबंधित वस्तुओं की कीमतें), किसी वस्तु की माँग की गई मात्रा और उसकी कीमत के बीच विपरीत संबंध होता है। अर्थात, जब कीमत बढ़ती है तो माँग की गई मात्रा घटती है, और कीमत घटने पर माँग की गई मात्रा बढ़ती है।
8. पूरक वस्तुओं के दो उदाहरण दें।
पूरक वस्तुएँ (Complementary Goods) वे होती हैं जिनका उपयोग एक साथ किसी विशेष आवश्यकता को पूरा करने के लिए किया जाता है।
कार और पेट्रोल (एक के बिना दूसरे का उपयोग कठिन है)।
पेन और स्याही (इंक)।
9. ऐसी दो वस्तुएँ बतायें जो एक दूसरे के स्थानापन्न हैं।
स्थानापन्न वस्तुएँ (Substitute Goods) वे होती हैं जिनका उपयोग एक के स्थान पर दूसरे का किया जा सकता है।
चाय और कॉफी।
पेप्सी और कोका-कोला।
10. हासमान सीमांत उत्पादकता नियम को बतायें।
हासमान सीमांत उत्पादकता नियम (Law of Diminishing Marginal Productivity) बताता है कि जब उत्पादन के अन्य सभी कारक स्थिर रखे जाते हैं और एक परिवर्तनीय कारक (जैसे श्रम) की इकाइयों को लगातार बढ़ाया जाता है, तो एक निश्चित बिंदु के बाद, उस परिवर्तनीय कारक का सीमांत उत्पाद (Marginal Product) घटने लगता है।
11. औसत एवं सीमांत उत्पाद वक्र को चित्रित करें।
औसत उत्पाद (AP) वक्र और सीमांत उत्पाद (MP) वक्र उल्टे ‘U’ आकार के होते हैं।
MP वक्र AP वक्र को उसके अधिकतम बिंदु पर काटता है।
जब MP > AP, तो AP बढ़ता है।
जब MP < AP, तो AP घटता है।
12. अर्थशास्त्र में अल्पकाल से क्या तात्पर्य है?
अर्थशास्त्र में अल्पकाल (Short Term) वह समयावधि होती है जिसमें एक फर्म उत्पादन के कुछ कारकों (जैसे मशीनरी, भवन) को स्थिर (Fixed) रखती है, जबकि कुछ कारकों (जैसे श्रम, कच्चा माल) को परिवर्तित (Variable) कर सकती है। इस अवधि में, फर्म अपनी उत्पादन क्षमता (Plant Size) को बदल नहीं सकती।
13. किसी फर्म के उत्पादन बंदी बिन्दु को परिभाषित करें।
उत्पादन बंदी बिन्दु (Production Shut-Down Point) वह बिंदु है जिस पर एक फर्म को उत्पादन बंद कर देना चाहिए। यह तब होता है जब वस्तु की कीमत औसत परिवर्तनीय लागत (Average Variable Cost – AVC) के न्यूनतम स्तर के बराबर होती है (P = \text{Minimum AVC})। यदि कीमत इससे नीचे चली जाती है, तो फर्म को परिवर्तनीय लागत को भी पूरा करने में नुकसान होता है।
14. पूर्ति की कीमत लोच को परिभाषित करें।
पूर्ति की कीमत लोच (Price Elasticity of Supply) वस्तु की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन के कारण उसकी पूर्ति की मात्रा में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन का माप है। यह दर्शाती है कि कीमत में बदलाव के प्रति पूर्ति कितनी संवेदनशील (Responsive) है। इसका सूत्र है:
28. अवमूल्यन क्या है?
अवमूल्यन (Devaluation) एक ऐसी स्थिति है जहाँ सरकार जानबूझकर अपनी घरेलू मुद्रा का मूल्य विदेशी मुद्रा (जैसे अमेरिकी डॉलर) के मुकाबले कम कर देती है। यह केवल एक निश्चित विनिमय दर प्रणाली (Fixed Exchange Rate System) में होता है। इसका मुख्य उद्देश्य निर्यात को सस्ता और आयात को महँगा बनाकर देश के व्यापार संतुलन (Balance of Trade) में सुधार करना होता है।
29. सीमांत उपभोग प्रवृत्ति क्या है?
सीमांत उपभोग प्रवृत्ति (Marginal Propensity to Consume – MPC) उपभोग में होने वाले परिवर्तन और आय में परिवर्तन के अनुपात को दर्शाती है। यह बताती है कि जब उपभोक्ता की आय में परिवर्तन होता है, तो वह आय का कितना हिस्सा उपभोग पर खर्च करता है। इसका मान 0 और 1 के बीच होता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)
(किन्हीं 4 प्रश्नों के उत्तर दें, प्रत्येक उत्तर लगभग 100-120 शब्दों में)
31. दो-क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के आय के वृत्ताकार प्रवाहं को आरेखित और नामांकित करें। इस चित्र में आय विधि, व्यय विधि एवं उत्पाद विधि द्वारा उत्पादन की गणना दर्शायें।
दो-क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था (Two-Sector Economy) में परिवार (Household) और फर्म (Firm) शामिल होते हैं।
परिवार: फर्मों को उत्पादन के कारक (भूमि, श्रम, पूंजी, उद्यम) प्रदान करते हैं।
फर्म: परिवारों को वस्तुएँ और सेवाएँ प्रदान करते हैं।
वृत्ताकार प्रवाह (Circular Flow):
वास्तविक प्रवाह: परिवार फर्मों को कारक सेवाएँ प्रदान करते हैं, और फर्म बदले में परिवारों को वस्तुएँ और सेवाएँ प्रदान करती हैं।
मौद्रिक प्रवाह: फर्म कारक सेवाओं के बदले परिवारों को कारक भुगतान (आय) करती हैं, और परिवार वस्तुओं और सेवाओं की खरीद के लिए फर्मों को उपभोग व्यय करते हैं।
राष्ट्रीय आय की गणना: वृत्ताकार प्रवाह के माध्यम से आय की गणना तीन तरीकों से की जा सकती है, जो संतुलन में समान होते हैं:
उत्पाद विधि (Product Method): फर्मों द्वारा उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य का योग। (आरेख में फर्म से परिवार तक वस्तुओं और सेवाओं का प्रवाह का मूल्य)।
आय विधि (Income Method): फर्मों द्वारा परिवारों को किए गए सभी कारक भुगतानों (वेतन, किराया, ब्याज, लाभ) का योग। (आरेख में फर्म से परिवार तक आय का प्रवाह)।
व्यय विधि (Expenditure Method): परिवारों द्वारा वस्तुओं और सेवाओं पर किए गए कुल उपभोग व्यय का योग। (आरेख में परिवार से फर्म तक व्यय का प्रवाह)।
यह वृत्ताकार प्रवाह दर्शाता है कि उत्पादन = आय = व्यय, जिससे अर्थव्यवस्था में संतुलन बना रहता है।
32. भारतीय रिजर्व बैंक किस अवस्था में अंतिम ऋणदाता की भूमिका का निर्वाह करता है? (बैंक रन की संकल्पना की मदद से समझायें)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) वित्तीय संकट की स्थिति में अंतिम ऋणदाता (Lender of Last Resort) की भूमिका का निर्वाह करता है।
बैंक रन (Bank Run) की संकल्पना: बैंक रन तब होता है जब बड़ी संख्या में जमाकर्ता (Depositors) एक ही समय में यह मानते हुए कि बैंक दिवालिया होने वाला है, अपना पैसा बैंक से निकालने के लिए दौड़ पड़ते हैं। भले ही बैंक वित्तीय रूप से मजबूत हो, इस सामूहिक निकासी से वह अपनी तरलता (Liquidity) खो देता है और विफल हो सकता है क्योंकि वह अल्पकालिक जमा का उपयोग दीर्घकालिक ऋण देने के लिए करता है। इससे पूरे बैंकिंग क्षेत्र में अविश्वास फैल जाता है।
RBI की भूमिका:
जब कोई वाणिज्यिक बैंक बैंक रन या किसी अन्य कारण से अल्पकालिक तरलता की कमी का सामना करता है और उसे अन्य स्रोतों (जैसे इंटरबैंक बाजार) से धन नहीं मिलता है, तब RBI हस्तक्षेप करता है। RBI संकटग्रस्त बैंक को अस्थायी ऋण प्रदान करके उसे विफल होने से बचाता है। इससे जमाकर्ताओं का विश्वास बहाल होता है और बैंक रन की स्थिति समाप्त हो जाती है। यह पूरी वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
33. ‘प्रभावी माँग’ क्या है? किसी अर्थव्यवस्था में आय का निर्धारण कैसे होता है? चित्रित कर समझायें।
प्रभावी माँग (Effective Demand):
प्रभावी माँग की संकल्पना जे. एम. कीन्स ने दी थी। यह वह माँग है जो कुल पूर्ति (Aggregate Supply) के बराबर होती है और जिस पर उद्यमी वास्तव में उत्पादन करने को तैयार होते हैं। यह कुल माँग (Aggregate Demand – AD) का वह स्तर है जो अर्थव्यवस्था में वास्तविक रोजगार स्तर को निर्धारित करता है। यह वह बिंदु है जहाँ कुल व्यय की योजनाएँ कुल उत्पादन के बराबर होती हैं।
आय का निर्धारण (Determination of Income):
आय (या संतुलन उत्पादन) का निर्धारण उस बिंदु पर होता है जहाँ अर्थव्यवस्था में कुल माँग (AD) कुल पूर्ति (AS) के बराबर होती है।
AD=AS
कुल पूर्ति (AS): यह वह मूल्य है जिस पर अर्थव्यवस्था की फर्में विभिन्न स्तरों पर उत्पादन करने को तैयार हैं। एक साधारण कीन्सियन मॉडल में, AS = Y (आय) और AS एक 45^\circ रेखा होती है।
कुल माँग (AD): यह अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं पर कुल नियोजित व्यय है, जो उपभोग (C) और निवेश (I) का योग है (AD = C + I)।
चित्रण और व्याख्या:
आरेख में, 45^\circ रेखा कुल पूर्ति (AS) को दर्शाती है।
कुल माँग (AD) वक्र AD = C + I के रूप में दिखाया गया है।
संतुलन बिंदु (E) वह बिंदु है जहाँ AD वक्र AS वक्र को काटता है।
संतुलन आय का स्तर (Y_e) वह है जो संतुलन बिंदु से X-अक्ष पर प्राप्त होता है।
यदि AD > AS है, तो नियोजित माँग नियोजित उत्पादन से अधिक है, जिससे इन्वेंट्री कम हो जाती है। फर्में उत्पादन बढ़ाएँगी जब तक संतुलन प्राप्त न हो जाए।
यदि AD < AS है, तो नियोजित माँग नियोजित उत्पादन से कम है, जिससे इन्वेंट्री जमा हो जाती है। फर्में उत्पादन घटाएँगी जब तक संतुलन प्राप्त न हो जाए।
इस प्रकार, अर्थव्यवस्था स्वचालित रूप से AD = AS बिंदु पर संतुलन आय स्तर प्राप्त करती है।
यदि आप चाहते हैं तो मैं इन उत्तरों में से किसी पर भी और अधिक विवरण प्रदान कर सकता हूँ।
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